प्रेम म्हणजे, प्रेम म्हणजे प्रेम असतं,
तुमचं आणि आमचं अगदी ‘सेम’ असतं !
काय म्हणता ?
या ओळी चिल्लर वटतात?
काव्याच्या दृष्टीने थिल्लर वाटतात ?
असल्या तर असू दे,
फसल्या तर फसू दे !
तरीसुद्धा
तरीसुद्धा,
प्रेम म्हणजे प्रेम असतं,
तुमचं आणि आमचं अगदी ‘सेम’ असतं !
मराठीतून इश्श म्हणून
प्रेम करता येतं;
उर्दुमधे इश्क म्हणून
प्रेम करता येत;
व्याकरणात चुकलात तरी
प्रेम करता येतं;
कोन्वेंटमधे शिकलात तरी
प्रेम करता येतं !
सोळा वर्ष सरली की
अंगात फुलं फुलू लागतात,
जागेपणी स्वप्नांचे
झोपाळे झुलू लगतात !
आठवतं ना ?
तुमची आमची सोळा जेव्हा,
सरली होती,
होडी सगळी पाण्याने भरली होती !
लाटांवर बेभान होऊन
नाचलो होतो,
होडी सकट बूडता बूडता
वाचलो होतो !
बुडलो असतो तरीसुद्धा चाललं असतं;
प्रेमानेच अलगद वर काढलं असतं !
तुम्हाला ते कळलं होतं,
मलासुद्धा कळलं होतं !
कारण
प्रेम म्हणजे प्रेम म्हणजे प्रेम असतं,
तुमचं आणि आमचं अगदी ‘सेम’ असतं !
प्रेमबीम झूट असतं
म्हणणारी माणसं भेटतात,
प्रेम म्हणजे स्तोम नुसतं
मानणारी माणसं भेटतात !
असाच एक जण चक्क मला म्हणाला,
“आम्ही कधी बायकोला
फिरायला नेलं नाही;
पाच मुलं झाली तरी
प्रेमबीम कधीसुद्धा केलं नाही !
आमचं काही नडलं का?
प्रेमाशिवाय अडलं का?”
त्याला वाटलं मला पटलं !
तेव्हा मी इतकंच म्हटलं,
“प्रेम म्हणजे प्रेम म्हणजे प्रेम असतं
तुमचं आणि आमचं मात्र सेम नसतं !”
तिच्यासोबत पावसात
कधी भिजला असाल जोडीने,
एक चॉकलेट अर्धं अर्धं
खाल्लं असेल गोडीने !
भर दुपारी उन्हात कधी
तिच्यासोबत तासन् तास फिरला असाल,
झंकारलेल्या सर्वस्वाने
तिच्या कुशीत शिरला असाल !
प्रेम कधी रुसणं असतं,
डोळ्यांनीच हसणं असतं,
प्रेम कधी भांडतंसुद्धा !
दोन ओळींची चिठीसुद्धा प्रेम असतं,
घट्ट घट्ट मिठीसुद्धा प्रेम असतं !
प्रेम म्हणजे प्रेम म्हणजे प्रेम असतं
तुमचं आणि आमचं अगदी सेम असतं !
कवी - मंगेश पाडगावकर
Friday, January 15, 2010
Monday, January 11, 2010
कैसी है ये रुत के जिस में
कैसी है ये रुत के जिस में फूल बनके दिल खिले
घुल रहे हैं रंग सारे घुल रही हैं ख़ःउशबूएं
चाँदनी झरने घटायें गीत बारिश तितलियाँ
हम पे हो गये हैं सब मेहरबान
देखो नदी के किनारे पंछी पुकारे किसी पंछी को
देखो ये जो नदी है मिलने चली है सागर ही को
ये प्यार का ही साअरा है कारवान
कसी है ये रुत के ...
हो, कैसे किसी को बतायें कैसे ये समझायें क्या प्यार है
इस में बंधन नहीं है और ना कोई भी दीवार है
सुनो प्यार की निराली है दास्ताँ
कैसी है ये रुत ...
- जावेद अख्तर
घुल रहे हैं रंग सारे घुल रही हैं ख़ःउशबूएं
चाँदनी झरने घटायें गीत बारिश तितलियाँ
हम पे हो गये हैं सब मेहरबान
देखो नदी के किनारे पंछी पुकारे किसी पंछी को
देखो ये जो नदी है मिलने चली है सागर ही को
ये प्यार का ही साअरा है कारवान
कसी है ये रुत के ...
हो, कैसे किसी को बतायें कैसे ये समझायें क्या प्यार है
इस में बंधन नहीं है और ना कोई भी दीवार है
सुनो प्यार की निराली है दास्ताँ
कैसी है ये रुत ...
- जावेद अख्तर
पंछी नदिया पवन के झोंके
पंछी नदिया पवन के झोंके
कोई सरहद ना इन्हें रोके
सरहदें इन्सानों के लिए हैं
सोचो तुमने और मैने क्या पाया इन्सां हो के
पंछी नदिया ...
जो हम दोनों पंछी होते
तैरते हम इस नील गगन में
पंख पसारे
सारी धरती अपनी होती
अपने होते सारे नज़ारे
खुली फ़िज़ाओं में उड़ते
अपने दिल में हम सारा प्यार समो के
पंछी नदिया ...
जो मैं होती नदिया और तुम पवन के झोंके तो क्या होता
पवन के झोंके नदी के तन को जब छूते हैं
लहरें ही लहरें बनती हैं
हम दोनों जो मिलते तो कुछ ऐसा होता
सब कहते ये लहर लहर जहां भी जाए
इसको ना कोई टोके
पंछी नदिया ...
- जावेद अख्तर
कोई सरहद ना इन्हें रोके
सरहदें इन्सानों के लिए हैं
सोचो तुमने और मैने क्या पाया इन्सां हो के
पंछी नदिया ...
जो हम दोनों पंछी होते
तैरते हम इस नील गगन में
पंख पसारे
सारी धरती अपनी होती
अपने होते सारे नज़ारे
खुली फ़िज़ाओं में उड़ते
अपने दिल में हम सारा प्यार समो के
पंछी नदिया ...
जो मैं होती नदिया और तुम पवन के झोंके तो क्या होता
पवन के झोंके नदी के तन को जब छूते हैं
लहरें ही लहरें बनती हैं
हम दोनों जो मिलते तो कुछ ऐसा होता
सब कहते ये लहर लहर जहां भी जाए
इसको ना कोई टोके
पंछी नदिया ...
- जावेद अख्तर
Wednesday, January 6, 2010
प्रेम कर भिल्लासारखं
पुरे झाले चंद्रसूर्य
पुरे झाले तारा
पुरे झाले नदीनाले
पुरे झाला वारा
मोरासारखा छाती काढून उभा रहा
जाळासारखा नजरेत नजर बांधून पहा
सांग तिला तुझ्या मिठीत
स्वर्ग आहे सारा
शेवाळलेले शब्द आणिक
यमकछंद करतील काय?
डांबरी सडकेवरती श्रावण
इंद्रधनू बांधील काय?
उन्हाळ्यात ढगासारखा हवेत रहाशील फिरत
जास्तीत जास्त बारा महीने बाई राहील झुरत
नंतर तुला लागिनचिटि
आल्याशिवाय राहील काय?
म्हणुन सांगतो जागा हो
जाण्यापुर्वी वेळ
प्रेम नाही अक्षरांच्या
भातुकलीचा खेळ
प्रेम म्हणजे वणवा होउन जाळत जाण
प्रेम म्हणजे जंगल होउन जळत रहाण
प्रेम कराव भिल्लासारख
बाणावरती खोचलेल
मातीमध्ये उगवुनसुद्धा
मेघापर्यंत पोचलेल...
शब्दांच्या या धुक्यामाद्ये अडकू नकोस
बुरुजावरती झेंड्यासारखा फडकू नकोस
उधालूं दे तूफ़ान सगळ काळजामाद्ये साचलेल
प्रेम कराव भिल्लासारख
बाणावरती खोचलेल
मातीमध्ये उगवुनसुद्धा
मेघापर्यंत पोचलेल...
पुरे झाले तारा
पुरे झाले नदीनाले
पुरे झाला वारा
मोरासारखा छाती काढून उभा रहा
जाळासारखा नजरेत नजर बांधून पहा
सांग तिला तुझ्या मिठीत
स्वर्ग आहे सारा
शेवाळलेले शब्द आणिक
यमकछंद करतील काय?
डांबरी सडकेवरती श्रावण
इंद्रधनू बांधील काय?
उन्हाळ्यात ढगासारखा हवेत रहाशील फिरत
जास्तीत जास्त बारा महीने बाई राहील झुरत
नंतर तुला लागिनचिटि
आल्याशिवाय राहील काय?
म्हणुन सांगतो जागा हो
जाण्यापुर्वी वेळ
प्रेम नाही अक्षरांच्या
भातुकलीचा खेळ
प्रेम म्हणजे वणवा होउन जाळत जाण
प्रेम म्हणजे जंगल होउन जळत रहाण
प्रेम कराव भिल्लासारख
बाणावरती खोचलेल
मातीमध्ये उगवुनसुद्धा
मेघापर्यंत पोचलेल...
शब्दांच्या या धुक्यामाद्ये अडकू नकोस
बुरुजावरती झेंड्यासारखा फडकू नकोस
उधालूं दे तूफ़ान सगळ काळजामाद्ये साचलेल
प्रेम कराव भिल्लासारख
बाणावरती खोचलेल
मातीमध्ये उगवुनसुद्धा
मेघापर्यंत पोचलेल...
Sunday, January 3, 2010
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
मुहल्ले की सबसे निशानी पुरानी
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वो चहरे की झुरिर्यों में सदियों का फेरा
भुलाये नहीं भूल सकता है कोई
वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना
वो गुड़िया की शादी में लड़ना झगड़ना
वो झूलों से गिरना वो गिर के सम्भलना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफ़े
वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरोंदे बनाना बना के मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी
न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
मुहल्ले की सबसे निशानी पुरानी
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वो चहरे की झुरिर्यों में सदियों का फेरा
भुलाये नहीं भूल सकता है कोई
वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना
वो गुड़िया की शादी में लड़ना झगड़ना
वो झूलों से गिरना वो गिर के सम्भलना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफ़े
वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरोंदे बनाना बना के मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी
न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी
You've got a friend- Carole King
When your down and troubled
And you need a helping hand
And nothing, nothing is going right.
Close your eyes and think of me
And soon I will be there
To brighten up even your darkest nights.
You just call out my name,
And you know whereever I am
I'll come running, oh yeah baby
To see you again.
Winter, spring , summer, or fall,
All you have to do is call
And I'll be there, yeah, yeah, yeah.
You've got a friend.
If the sky above you
Should turn dark and full of clouds
And that old north wind should begin to blow
Keep your head together and call my name out loud
And soon I will be knocking upon your door.
You just call out my name and you know where ever I am
I'll come running to see you again.
Winter, Spring, summer or fall
All you got to do is call
And I'll be there.
Hey, ain't it good to know that you've got a friend?
People can be so cold.
They'll hurt you and desert you.
Well they'll take your soul if you let them.
Oh yeah, but don't you let them.
You just call out my name and you know wherever I am
I'll come running to see you again.
Oh babe, don't you know that,
Winter Spring summer or fall,
Hey now, all you've got to do is call.
Lord, I'll be there, yes I will.
You've got a friend.
You've got a friend.
Ain't it good to know you've got a friend.
Ain't it good to know you've got a friend.
You've got a friend.
And you need a helping hand
And nothing, nothing is going right.
Close your eyes and think of me
And soon I will be there
To brighten up even your darkest nights.
You just call out my name,
And you know whereever I am
I'll come running, oh yeah baby
To see you again.
Winter, spring , summer, or fall,
All you have to do is call
And I'll be there, yeah, yeah, yeah.
You've got a friend.
If the sky above you
Should turn dark and full of clouds
And that old north wind should begin to blow
Keep your head together and call my name out loud
And soon I will be knocking upon your door.
You just call out my name and you know where ever I am
I'll come running to see you again.
Winter, Spring, summer or fall
All you got to do is call
And I'll be there.
Hey, ain't it good to know that you've got a friend?
People can be so cold.
They'll hurt you and desert you.
Well they'll take your soul if you let them.
Oh yeah, but don't you let them.
You just call out my name and you know wherever I am
I'll come running to see you again.
Oh babe, don't you know that,
Winter Spring summer or fall,
Hey now, all you've got to do is call.
Lord, I'll be there, yes I will.
You've got a friend.
You've got a friend.
Ain't it good to know you've got a friend.
Ain't it good to know you've got a friend.
You've got a friend.
कणा-कुसुमाग्रज
‘ओळखलत का सर मला?’ पावसात आला कोणी,
कपडे होते कर्दमलेले, केसांवरती पाणी.
क्षणभर बसला नंतर हसला बोलला वरती पाहून,
‘गंगामाई पाहुणी आली, गेली घरट्यात राहुन’.
माहेरवाशिणीसारखी चार भिंतीत नाचली,
मोकळ्या हाती जाईल कशी, बायको मात्र वाचली.
भिंत खचली, चूल विझली, होते नव्हते नेले,
प्रसाद म्हणून पापण्यांवरती पाणी थोडे ठेवले.
कारभारणीला घेउन संगे सर आता लढतो आहे
पडकी भिंत बांधतो आहे, चिखलगाळ काढतो आहे.
खिशाकडे हात जाताच हसत हसत उठला
‘पैसे नकोत सर’, जरा एकटेपणा वाटला.
मोडून पडला संसार तरी मोडला नाही कणा,
पाठीवरती हात ठेउन, तुम्ही फक्त लढ म्हणा!
कपडे होते कर्दमलेले, केसांवरती पाणी.
क्षणभर बसला नंतर हसला बोलला वरती पाहून,
‘गंगामाई पाहुणी आली, गेली घरट्यात राहुन’.
माहेरवाशिणीसारखी चार भिंतीत नाचली,
मोकळ्या हाती जाईल कशी, बायको मात्र वाचली.
भिंत खचली, चूल विझली, होते नव्हते नेले,
प्रसाद म्हणून पापण्यांवरती पाणी थोडे ठेवले.
कारभारणीला घेउन संगे सर आता लढतो आहे
पडकी भिंत बांधतो आहे, चिखलगाळ काढतो आहे.
खिशाकडे हात जाताच हसत हसत उठला
‘पैसे नकोत सर’, जरा एकटेपणा वाटला.
मोडून पडला संसार तरी मोडला नाही कणा,
पाठीवरती हात ठेउन, तुम्ही फक्त लढ म्हणा!
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